Thursday, August 18, 2011

कुंडली में ऐसे ग्रह वाले लोग खर्च अधिक करते हैं...


अब तक आपने पढ़ा यदि किसी व्यक्ति की कुंडली मेष लग्न की है और सूर्य यदि प्रथम, द्वितीय, तृतीय, चतुर्थ या पंचम भाव में हो तो क्या प्रभाव पड़ता है...

इस लेख में जानिए मेष लग्न की कुंडली के छठे भाव यानि कन्या राशि में सूर्य हो तो व्यक्ति को जीवन में क्या-क्या उपलब्धियां प्राप्त होती हैं और किन परेशानियों का सामना करना पड़ता है...

यदि किसी व्यक्ति की मेष लग्न की कुंडली में सूर्य षष्ठम भाव यानि छठे भाव में सूर्य हो तो वह शिक्षा के क्षेत्र में परेशानियों का सामना करता है। छठा भाव यानि कन्या राशि का स्वामी बुध है और इस राशि में सूर्य होने से व्यक्ति विद्वान होता है। वह शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने वाला होता है। इस भाव से सूर्य की सातवीं दृष्टि गुरु ग्रह की मीन राशि यानि बाहरवे भाव पर पड़ती है, जिससे व्यक्ति अधिक खर्च करने वाला होता है। साथ ही वह अपने संबंधों से पूर्ण लाभ अर्जित करता है। ऐसे लोगों को विदेशों से भी आय प्राप्त होने के योग बनते हैं। इन्हें संतान के संबंध में सदैव चिंताएं बनी रहती है।

Wednesday, August 17, 2011

इन लोगों की कमाई में अक्सर आती हैं रुकावटें....


मेष लग्न की कुंडली में सूर्य की स्थिति से हमारे जीवन पर क्या प्रभाव होता है? कुंडली के अलग-अलग 12 भावो में सूर्य के अलग-अलग फल होते हैं। पूर्व में मेष लग्न की कुंडली में प्रथम, द्वितीय, तृतीय और चतुर्थ भावों में सूर्य व्यक्ति के जीवन को किस प्रकार प्रभावित करता है? लेख प्रकाशित किए गए हैं। अब जानिए मेष लग्न की कुंडली के पांचवे भाव में सूर्य हो तो क्या फल प्राप्त होते हैं...

पांचवा भाव यानि सिंह राशि का स्वामी सूर्य ही है। अत: खुद की राशि में सूर्य हो तो व्यक्ति विद्वान और वाणी का धनी होता है। वह अपनी बोली से ही सभी कार्य सफल कर लेता है। सूर्य की इस स्थिति के कारण व्यक्ति को संतान से भी लाभ प्राप्त होता है। इन लोगों को सर्वगुण संपन्न संतान की प्राप्ति होती है। इस भाव में स्थित सूर्य अपने शत्रु शनि की कुंभ राशि वाले ग्यारहवें घर को सातवीं दृष्टि से देख रहा है, अत: व्यक्ति की कमाई में कई प्रकार की रुकावटें पैदा होती हैं। इन लोगों को कई बार कटु वाणी के कारण लाभ मिल जाता है। वह बुद्धि में अन्य लोगों को तुच्छ ही समझता है। इसलिए इनके कई आलोचक होते हैं।

बहुत संपत्ति वाले होते हैं ऐसे लोग...


पूर्व में आपने पढ़ा कि मेष लग्न की कुंडली में सूर्य प्रथम, द्वितीय और तृतीय भाव में क्या फल प्रदान करता है? अब जानिए कि सूर्य चतुर्थ भाव में हो तो व्यक्ति के जीवन पर क्या प्रभाव डालता है...

यदि किसी व्यक्ति कुंडली की मेष लग्न की है और उसमें सूर्य चतुर्थ भाव में स्थित है तो वह व्यक्ति बहुत तेजी दिमाग वाला होता है। चतुर्थ भाव यानि कर्क राशि का स्वामी चंद्र है अत: व्यक्ति का दिमाग तेज रहता है लेकिन चंद्र के कारण वह शांत भी रहता है। इस चतुर्थ भाव से सूर्य अपनी सातवीं दृष्टि से शत्रु ग्रह शनि की राशि मकर राशि दसवे भाव पर प्रभाव डालता है। इस वजह से उस व्यक्ति के अपने पिता के साथ मधुर संबंध नहीं रहेंगे। इसके अलावा वह राज्य या शासकीय कार्यों में उदासीन रहेगा। इस भाव में सूर्य हो तो व्यक्ति का समाज में अच्छा प्रभाव बना रहेगा और वह एक उच्च मुकाम भी हासिल करेगा। चतुर्थ भाव में सूर्य के प्रभाव से व्यक्ति को माता का काफी अधिक स्नेह मिलेगा। साथ ही वह संपत्ति और घर के संबंध में संपन्न रहेगा।

किस्मत वाले होते हैं ऐसे लोग, जिनकी कुंडली में...


अब तक आपने पिछले लेखों में पढ़ा मेष लग्न की पत्रिका में सूर्य के लग्न भाव या द्वितीय भाव में हो तो व्यक्ति के जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता है... अब पढि़ए मेष लग्न की पत्रिका में सूर्य यदि तृतीय भाव में हो तो व्यक्ति का जीवन कैसा रहता है...

भृगु संहिता के अनुसार तृतीय भाव मिथुन राशि सूर्य के पराक्रम का स्थान माना जाता है। अत: जिस व्यक्ति की कुंडली में इस भाव में सूर्य स्थित हो तो उसे वह विद्या एवं बुद्धिबल में विशेष योग्यता प्राप्त होगी। यहां सूर्य सातवीं दृष्टि से भाग्य तथा धर्म के स्थान धनु राशि के नौवें भाव को भी देख रहा है। इस भाव का स्वामी गुरु है। इसके प्रभाव से व्यक्ति बहुत भाग्यशाली होगा। वह धार्मिक कार्यों में भी रूचि रखेगा। तृतीय भाव से तीसरा स्थान सिंह राशि का है अत: यह भाव सूर्य के प्रभाव से गर्म होने के कारण व्यक्ति अधिक शक्तिशाली भी हो जाता है।

तृतीय भाव यानि मिथुन राशि में सूर्य होने से व्यक्ति को भाइयों और संतान से सुख प्राप्त होता है।

ऐसे लोगों के पास कभी पैसा जमा नहीं होता है, जिनकी कुंडली में...


पूर्व में बताया गया था कि मेष लग्न की पत्रिका में सूर्य के लग्न भाव में होने पर व्यक्ति के जीवन पर क्या प्रभाव पड़ते हैं। अब जानिए सूर्य यदि द्वितीय भाव में स्थिति हो तो व्यक्ति का जीवन कैसा रहेगा?

भृगु संहिता के अनुसार द्वितीय भाव को धन का स्थान माना जाता है। द्वितीय भाव यानि वृषभ राशि का स्वामी शुक्र ग्रह सूर्य का शत्रु माना गया है। अत: इस भाव में सूर्य होने पर व्यक्ति को धन संबंधी परेशानियां उठाना पड़ती है। इसके अलावा द्वितीय भाव परिवार, रत्न आदि का भी है अत: व्यक्ति को परिवार से जुड़ी हुई कई समस्याएं जीवनभर सताएंगी। विद्या अध्ययन में भी कमी रहेगी।

द्वितीय भाव वृष राशि का सूर्य अपनी पूर्ण दृष्टि से आयु, मृत्यु तथा पुरातत्व के अष्टम भाव को अपने मित्र मंगल की वृश्चिक राशि में देख रहा है अत: व्यक्ति दीर्घायु होगा। उसे कभी-कभी अचानक धन की प्राप्ति होगी लेकिन वह कभी पैसा जमा नहीं कर सकेगा।

ऐसे लोगों के पति या पत्नी अधिक सुंदर नहीं होते...


पूर्व में बताया जा चुका है कि लग्न किस प्रकार देखा जाता है? अब जानिए लग्न में अलग-अलग ग्रहों की अलग-अलग स्थिति का व्यक्ति के जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता है? सबसे पहले मेष लग्न की कुंडली में सूर्य ग्रह के संबंध में जानकारी प्रकाशित की जा रही है-

जिस व्यक्ति की कुंडली मेष लग्न की है और उसके प्रथम भाव यानि लग्न भाव में सूर्य स्थित है तो जानिए व्यक्ति का जीवन कैसा रहेगा?

मेष लग्न के प्रथम भाव में सूर्य अपने मित्र मंगल की राशि में स्थित है। इसके प्रभाव से व्यक्ति स्वस्थ शरीर वाला, मध्यम कद का, स्वाभिमानी और विद्वान होगा।

इन लोगों को संतान पक्ष से बल, साहस, धैर्य आदि गुण प्राप्त होते हैं। वहीं सूर्य की सप्तम भाव पर नीच दृष्टि के कारण वैवाहिक जीवन के संबंध में व्यक्ति को परेशानियों का सामना करना पड़ता है। व्यवसाय एवं स्वास्थ्य के संबंध में भी समस्याएं उत्पन्न होती हैं। ऐसे सूर्य वाले व्यक्ति का जीवन साथी अधिक सुंदर नहीं होता है।